
किससे कहूँ?
किससे कहूँ?
किससे कहूँ की क्या बात है,
क्या दर्द है, क्या निजात है,
कौन समझे, कौन पूछे,
कौन अंगारे जैसे आँसू छू ले,
किससे साझा करूँ,
ये दुःख आधा करूँ,
जो आंखें, चेहरा, और मन न पढ़ सकें,
जो खामोशी तक न समझ सकें,
वो जज़्बात क्या समझेंगे?
– आशीष सिंह ठाकुर ‘अकेला’